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दिनांक 3 जुलाई, 2016, दिन रविवार
परिवार की 408वीं बैठक अायोजित
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दिनांक 20 अप्रैल, 2015, दिन सोमवार
भगवान श्री परशुराम जयंति
- आज है परशुराम जी का एक अरब ९७ करोड़ १२ लाख २१ हजार ११५वां जन्मदिन।
- हरियाणा ब्राह्मण परिसंघ ने मनाई 35वीं भगवान परशुराम जयंति।
- परशुराम जी की पूजा करने से बच्चों में चरित्र एवं वीर रस के संस्कार पैदा होते हैं।
- परशुराम जी ने सिर्फ अधर्मी सहस्त्रार्जुन का ही विनाश किया था।
- परशुराम जयंति को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग।
हरियाणा ब्राह्मण परिसंघ द्वारा 35वीं भगवान श्री परशुराम जयंति हर्षोल्लास से मनाई गई। शास्त्री पार्क स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर, मॉडल टाऊन में हुए कार्यक्रम में अक्षय परशुराम तृतीया का शुभारंभ परिसंघ के संस्थापक पुरुषोत्तम दास शर्मा ने भगवान परशुराम की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम में परशुराम परिवार द्वारा भजन कीर्तन और पूजा-अर्चना की गई। कार्यक्रम की अध्यक्ष्ता आरडी शर्मा ने की।
श्री शर्मा भगवान ने कहा कि अक्षय तृतीय त्रेता युग की प्रथम पुण्य तिथि है, जो सब फलों को देने वाली है। भगवान परशुराम जी का जन्म सतयुग तथा त्रेता के संधिकाल में शुक्ल पक्ष की अक्षय तृतीया, पुनर्वसु नक्षत्र में रात्री के प्रथम प्रहर में जगद बा रेणुका की कुक्षि से हुआ। श्री परशुराम जी ब्रह्मा जी के पुत्र भृगु के प्रपोत्र, मर्यादा धाम और चिरंजीवी हैं। जन्म से ही इनमें ब्राह्मी धर्म व क्षात्र धर्म पूर्ण रूप में रहा। श्री शर्मा ने कहा कि भगवान परशुराम के सिमरण मात्र से ही सभी विपदाओं का नाश हो जाता है। परशुराम जी की महिमा का वर्णन करते हुए श्री शर्मा ने आगे कहा वे कष्ट हरने वाले और सुखों के दाता हैं और उन्होंने केवल सहस्त्रार्जुन तथा उनके वंशजों के साथ युद्ध किया था। क्योंकि सहस्त्रार्जुन ने कामधेनु गाय प्राप्त करने के लिए जमदग्नि ऋषि की हत्या कर दी थी और उनका आश्रम नष्ट कर दिया था। यह व्यक्तिगत प्रतिशोध की घटना है, इसके अतिरिक्त उनका किसी भी राजवंश से युद्ध नहीं हुआ और उनके इक्कीस बार अधर्मी राजाओं के साथ युद्ध का वर्णन कहीं नहीं मिलता, इसलिए यह मिथ्या प्रचार है। जबकि इक्कीस का अर्थ पूर्ण होना है। इस युद्ध के बाद भगवान परशुराम जी ने युद्ध का भाव छोड़ दिया और समन्तक यज्ञ में समस्त भूमि व धन को कश्यप मुनि को दान में देकर महिन्द्र पर्वत पर तपस्या के लिये चले गये।
आज हम भगवान परशुराम जी का एक अरब ९७ करोड़ १२ लाख २१ हजार ११५वां जन्मदिन मना रहे हैं। भगवान परशुराम शिव के शिष्य हैं अत: रूद्र रूप हैं। विष्णु अंशी के कारण हरि स्वरूप हैं। इसलिए भगवान परशुराम जी ही ब्रह्मा-विष्णु-महेश रूपायक हैं। भगवान परशुराम जी से प्रेरणा लेने की बात कहते हुए श्री शर्मा ने कहा कि विशेषकर ब्राह्मणों को शिक्षा लेनी चाहिए क्योंकि ब्राह्मण राजगद्दी का नहीं परंतु गुरू गद्दी का दीप्यमान रत्न है। ब्राह्मण बैरागी व त्यागी होता है। तपोनिष्ठ व धर्म निष्ठ होता है और धन का लोभी नहीं होता। अत: हम संकल्प लें कि हम संतुष्ट रहें, समाज के सुख व समन्वय का प्रयास करें। श्री शर्मा ने बताया कि इस दिन गौधुली के समय भगवान परशुराम का जन्म हुआ था और इस दिन घर-परिवार में सुख-समृद्धि हेतु अपने घर के मु यद्वार पर तेल के दो दीपक अवश्य जलायें। आरडी शर्मा ने बताया कि इसी माह की 30 अप्रैल को परशुराम द्वादशी और रुकमणि द्वादशी का पवित्र योग है। इस दिन घर में पूजा पाठ करने से पवित्रता और भंडारा करने से घर में अन्न की बरकत आती है। आरडी ने कहा कि परशुराम जी ब्राह्म-विष्णु-महेश के प्रतीक हैं एवं उनकी पूजा करने से बच्चों में वीर रस के संस्कार पैदा होते हैं, जो देश के अच्छे नागरिक व चरित्रवान बनकर समाज की सभ्यता एवं संस्कृति की रक्षा करेंगे।
कार्यक्रम में भगवान परशुराम जयंति को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित करने की मांग की गई। भजन कीर्तन का आयोजन किया गया था, जिसमें परशुराम परिवार के सदस्यों ने नाच-गाकर अपनी खुशी का इजहार किया। सुबह हुए कार्यक्रम के बाद इसी दिन सायं भगवान परशुराम जी की आरती का भी आयोजन किया गया। जिसमें सदस्यों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। इस अवसर पर गुलशन बक्शी, चंद्रमोहन कालिया, श्याम सरण, प. यशपाल जोशी, आरडी शर्मा, देसराज कौशिक, अनुज कुमार, अवि कुमार, रमेश वासुदेव, ओमप्रकाश, हरपाल शर्मा, सत्यप्रकाश, रेणु कालिया, प्रेस सचिव रविंद्र पुंज, कार्तिक पुंज, यशोदा रानी, रचना शर्मा, डा. पीसी भारद्वाज, आरके उप्पल, स्वाति, एलएस शर्मा, प्रतीक तायल, निशा व कल्पेशवर प्रसाद भट्ट मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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दिनांक 5 अप्रैल, 2015, दिन रविवार
दिनांक 3 मार्च, 2014, दिन रविवार
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दिनांक 20 अक्तूबर, 2013, दिन रविवार
धर्मनगरी कुरूक्षेत्र में संपन्न हुआ परिसंघ का 33वां वार्षिक सम्मेलन
इस अवसर पर सभा का संचालन संगठन सचिव वैद्य पंडित प्रमोद कौशिक ने किया। सर्वसम्मति से कुछ प्रस्ताव पास किए गए। भगवान परशुराम भवन यमुनानगर की मांग हरियाणा सरकार से की गई। आय के आधार पर सभी पिछड़ा वर्गों को ढाई लाख से बढ़ाकर छह लाख रुपये तक आय सीमा की छूट देना, हरियाणा ब्राह्मण समुदाय को जमीन का मालिकाना हक देने की प्रक्रिया को सरल बनाकर बाकी लाभ से वंचित ब्राह्मणों को एक और मौका दिया जाना चाहिए, केंद्रीय सरकार भगवान परशुराम जयंती 1 मई 2014 को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाए, कौटिल्य पंडित की शिक्षा का प्रबंध हरियाणा सरकार द्वारा किया जाए, हेमंत अत्री का राज्य सूचना आयुक्त बनाने पर हरियाणा सरकार का आभार प्रकट किया गया।
देश व हरियाणा के सभी ब्राह्मण गाय के दूध का प्रयोग करें। इस मौके पर जयराम विद्यापीठ परिसर में अध्यक्ष देवेंद्र गौड़, पंकज अत्री कैथल, प्रवीन कौशिक, प्रदीप शर्मा, राजेश शर्मा, ब्राह्मण कर्मचारी संघ केयूके प्रधान ईश्वर शर्मा, कर्मचंद शर्मा, गुलशन बक्शी, डॉ. बृज मोहन शर्मा, रमेश वासुदेव, विश्वास कौशिक, चमन लाल शर्मा, सुभाष शर्मा, सतीश शर्मा, कृष्ण लाल शर्मा, रामफूल वशिष्ठ, नरेश भारद्वाज, रविंद्र पुंज, अवनिश कौशिक, माणी कौशिक सहित हरियाणा ब्राह्मण परिसंघ के कई अन्य सदस्य उपस्थित थे।
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भगवान परशुराम जयंति
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दिनांक 5 मई, 2013, दिन रविवार
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दिनांक 14 अप्रैल, 2013, दिन रविवार
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दिनांक 4 मार्च, 2013, दिन रविवार
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दिनांक 3 फरवरी, 2013, दिन रविवार
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